Opening Hours : Mon to Sat - 10:00Am to 5:00 Pm
नालन्दा पुरातन विद्या केंद्र के रूप में विश्वविख्यात रहा है। यह ऐतिहासिक गरिमाओं से युक्त भगवान बुद्ध, भगवान महावरी, चौरासी सिद्धों, बाबा मणिराम एवं सूफी संत मखदुम शाह सर्फुद्दीन की ज्ञानभूमि और कर्मभूमि रही है। नालन्दा जिला पहले पटना जिला के अंतर्गत रहा है। नालंदा स्वतंत्र जिला के रूप में नवंबर सन 1972 में अस्तित्व में आया। यह अस्थावाँ प्रखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 कि. मी. पूरब अलीनगर NH 82 पर नालन्दा, पटना, शेखपुरा और नवादा जिले के संगम स्थल पर स्थित है।
यह देखकर आश्चर्य होता है कि नालन्दा जिले के मुख्यालय बिहारशरीफ से लेकर अस्थावाँ प्रखंड मुख्यालय तक (लगभग 12 किलोमीटर का क्षेत्र) उच्च शिक्षा का कोई भी केन्द्र अर्थात कोई भी अंगीभूत (Constituent) या संबद्धता प्राप्त (Affliated) महाविद्यालय आजादी के बाद से सन् 1979 तक नहीं खुला था।
यही कारण है कि बिहार के पूर्व आरक्षी प्रमुख श्री राजेश्वर लाल (M.L.C.) और बिहार विधान सभा सदस्य श्री सतीश कुमार का ध्यान इस क्षेत्र की उच्च शिक्षा की समस्याओं की ओर गया। फलतः अप्रैल 1979 में श्री राजेश्वर लाल के नाम पर ही आर लाल महाविद्यालय की स्थापना हुई। प्रारंभ में यह महाविद्यालय श्री राजेश्वर लाल द्वारा निर्मित पास के ही राम प्रसाद भगवती चरण आदर्श टाउन उच्च विद्यालय में चलता था। करीब डेढ़ वर्षों तक यहाँ चलने के बाद महाविद्यालय अपने पक्के भवन में चला आया। इस समय यह भव्य भवन के रूप में द्रष्टव्य है।
इस महाविद्यालय का इतिहास गौरव पूर्ण रहा है। यहाँ राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय विद्वान शिक्षक रहे हैं। आज भी इस महाविद्यालय के शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले गोष्ठियों-सेमिनारों में भाग लेकर महाविद्यालय का गौरव बढ़ा रहे हैं। शिक्षकों के साथ-साथ यहाँ के योग्य छात्र भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासनिक पदाधिकारी, डॉक्टर, इजीनियर इत्यादि पदों को सुशोभित कर महाविद्यालय और नालन्दा जिले कि गरीमा की श्री वृद्धि कर रहे हैं।
बिहार सरकार और केन्द्र सरकार के भूतपूर्व मंत्री और त्रिपुरा के राज्यपाल माननीय प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद (नालन्दा जिला निवासी) अस्थावाँ के माननीय विधायक डा० जितेन्द्र कुमार और नालंदा के वर्त्तमान सांसद माननीय श्री कौशलेन्द्र कुमार का अपूर्व स्नेह इस महाविद्यालय को प्राप्त रहा है और प्राप्त हो रहा है।
इस महाविद्यालय के स्थापना काल के सचिव पद पर श्री सतीश कुमार (MLA) के अभूतपूर्व योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता उनके साथ ही श्री राघो महतो (डीह) श्री राम जी महतो (नागडीह) एवं श्री हारो महतो (अस्थन्ना) का भी योगदान मुलाया नहीं जा सकता। इसके बाद लंबी अवधि तक श्री राजेश्वर लाल ने भी महाविद्यालय के सचिव पद को सुशोभित किया है। वर्तमान में श्री कौशलेन्द्र कुमार माननीय सांसद, नालन्दा इस महाविद्यालय के सचिव पद पर रहते हुए महाविद्यालय के सतत विकास के लिए प्रयत्नशील है।
एस. एन. सिन्हा महाविद्यालय, टेकारी (मगध विश्वविद्यालय) के भूगोल विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्रदेव महतो ने इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया था। तत्पश्चात् डॉ० के०पी० यादव एवं प्रो० इंद्रसेन प्रसाद सिंह ने इस महाविद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य पद को सुशोभित किया है। महाविद्यालय के स्थापना काल से वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ० सतीश कुमार इस महाविद्यालय के वर्तमान में प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत हैं। यह एक विद्वान, योग्य एवं कर्मठ व्यक्ति हैं। शैक्षणिक गतिविधियों से इनका काफी लगाव है। ये मृदुभाषी और अनुशासन प्रिय है। इस महाविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी इनका काफी सम्मान करते हैं तथा महाविद्यालय के विकास कार्यों में इनका काफी सहयोग करते हैं।
वर्तमान में इस महाविद्यालय को स्नातक कक्षा के कला, विज्ञान एव वाणिज्य संकाय में बिहार सरकार से स्थायी सबंधन प्राप्त है। इस महाविद्यालय में स्नातक कला, विज्ञान, वाणिज्य सहित 26 विषयों में प्रतिष्ठा (HONS) के साथ पढाई (सुयोग्य प्राध्यापकों की देख-रेख में) होती है। मगध विश्वविद्यालय से Vocational Course(व्यावसायिक शिक्षा) B.C.A., B.B.M एवं B-Lis में पढ़ाई 2014 से ही प्रारभ है।
इस कॉलेज का लक्ष्य उन सभी को शिक्षा प्रदान करना है जो इसे प्राप्त करना चाहते हैं और खुद में सुधार करना चाहते हैं। यह न केवल औपचारिक शिक्षा बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा का भी प्रचार करना चाहता है
हम अपने समर्पित कर्मचारियों के माध्यम से अनुशासन के उच्च पैटर्न को स्थापित करने के लिए भविष्य की सामान्य शिक्षा प्रदान करने की कल्पना करते हैं, जिससे मानव जाति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए हमारे छात्रों को श्रेष्ठ और नैतिक रूप से मजबूत बनाया जा सके।
परिसर में व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा में सुधार करना। कॉलेज का मिशन समाज के उत्थान के लिए ज्ञान की खोज करना, एकीकृत करना, स्पष्ट करना और लागू करना है। यह शिक्षण पर जोर देकर, अनुसंधान में संलग्न होकर, सामान्य हितों को आगे बढ़ाने वाले संगठनों के साथ-साथ स्थानीय/राष्ट्रीय विभिन्न सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेकर किया जाएगा।
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